एक्टर बनना है? ... शीशे के सामने एक्टिंग न करें!
एक्टर बनना है? ... शीशे के सामने एक्टिंग न करें!
कुछ लोगों से बात करते हुए उन्होंने मुझे बताया
कि वे काँच (शीशा Mirror) के सामने एक्टिंग की प्रेक्टिस करते हैं।
मैंने उन्हें ऐसा करने से मना किया।
क्योंकि ये असंभव है।
काँच के सामने आप या तो एक्टिंग कर सकते हैं
या फिर ख़ुद को देख सकते हैं।
हमारा दिमाग एक ही वक़्त में ये दोनों काम नहीं कर सकता।
या दो हिस्सों में नहीं बँट सकता
कि एक हिस्सा एक्टिंग करने में व्यस्त है।
और दूसरा हमारी एक्टिंग देख रहा है।
लेकिन ये ग़लतफ़हमी कई लोगों को है
कि शीशे में देखकर एक्टिंग की प्रेक्टिस की जा सकती है।
कुछ तरह का आड़ा-टेढ़ा चेहरा बना लेना
या रोते हुए ख़ुद को देखना
और फिर ये सोचना कि वो तो कितने ग्रेट एक्टर हैं,
बहुत बचकाना है।
आड़ा-टेढ़ा चेहरा बना लेने से एक्टिंग सीखी जा सकती
तो वे सारे लोग बहुत ग्रेट एक्टर बन जाने चाहिए,
जो घर पर ख़ुद अपनी शेविंग करते हैं।
सच कह रहा हूँ, मेरा बहुत मनोरंजन होता है जब
मैं किसी को शेव करते हुए देखता हूँ।
इतने मनोरंजक और अजब-ग़ज़ब एक्सप्रेशन बनने हैं
कि आप मुस्कुराए बिना नहीं रह सकते।
लेकिन हक़ीक़त में ये सिर्फ़ चेहरे की मसल्स की
एक्सरसाइज़ भर है।
इससे एक्टिंग का कोई लेना-देना नहीं है।
लेकिन हाँ,
शीशे के सामने खड़े होकर आप अपना पहनावा और लुक देख सकते हैं।
आप कई तरह के पोज़ (Pose) बना सकते हैं।
आप उदासी, ख़ुशी, हँसी, तनाव, आश्चर्य, ग़ुस्सा, प्यार आदि
कई तरह के भाव बनाकर ख़ुद का अवलोकन कर सकते हैं।
किसी कैरेक्टर के गेटअप में आप कैसे लग रहे हैं ये देख सकते हैं।
अगर किसी एक्टर की मिमिक्री कर रहे हैं
तो उसकी तरह हावभाव करने और बोलने का अंदाज़ देख सकते हैं।
क्योंकि मिमिक्री अलग चीज़ है और एक्टिंग बिल्कुल अलग।
हालाँकि मिमिक्री भी एक कला है,
जिसे अच्छी ऑब्ज़र्वेशन (Observation) से विकसित किया जा सकता है।
लेकिन एक्टिंग में ऐसा नहीं है।
वहाँ किसी ऑब्ज़र्वेशन को भी
एक्टर ख़ुद अपने अंदाज़ में प्रस्तुत करता है।
ये मिमिक्री की तरह नकल नहीं कही जा सकती।
फिर जब एक्टर एक्टिंग करता है
तो उसे सम्बंधित भाव से कनेक्ट करना पड़ता है।
पूरी एकाग्रता से दिल-दिमाग़ और
शरीर पर ध्यान केन्द्रित कर अपने भाव प्रकट करने होते हैं।
इसलिए एक्टिंग करते समय ख़ुद ही दर्शक बनना असंभव है।
अगर आप देख रहे हैं तो साफ़ है कि फिर आप उस कैरेक्टर में नहीं हैं।
यानी आप कैरेक्टर से या भावों की पकड़ से बाहर आ गए हैं।
फिर वो एक्टिंग सच्ची नहीं है।
उसमें ईमानदारी नहीं है।
शीशे में देखकर प्रेक्टिस करने का एक नुकसान ये भी है कि
कई लोग ख़ुद को लेकर
अति संवेदनशील या अति सजग (Self- Conscious)
हो जाते हैं।
उन्हें हरदम ये ख़याल सताने लगता है कि
कहीं वे कुछ ग़लत तो नहीं कर रहे?
वे ख़राब तो नहीं दिख रहे?
इस तरह अपना ज़्यादा विश्लेषण करना
उनकी सच्ची एक्टिंग के लिए ख़तरा बन जाता है।
इससे बार-बार उनकी एकाग्रता टूटने लगती है।
मेरा ये सुझाव है कि अब बहुत सारी सुविधाएं आपके पास मौजूद हैं।
सबसे अच्छा है आपका स्मार्ट फ़ोन।
आप किसी मित्र की मदद से अपनी एक्टिंग को
मोबाइल में शूट कीजिए और फिर देखिए।
जैसे कई लोग बाथरूम सिंगर होते हैं
वैसे ही कई लोग बाथरूम एक्टर ही बने रह जाते हैं।
वे बाथरूम में बंद होकर घंटों
शीशे के सामने एक्टिंग करते रहते हैं।
इससे कुछ नहीं होने वाला।
शीशे के सामने प्रेक्टिस का घातक पहलू ये भी है
कि आप आत्ममुग्ध भी हो सकते हैं।
अपनी एक्टिंग की ख़ुद ही तारीफ़ कर-कर के इतरा सकते हैं।
अपने आपको बहुत ही बेहतरीन एक्टर समझने की भूल कर सकते हैं।
जबकि ये प्रेक्टिस दरअसल प्रेक्टिस है ही नहीं।
शीशे में देखने से कहीं गुना ज़्यादा बेहतर है।
आजकल मोबाइल फ़ोन्स की क्वालिटी भी बहुत अच्छी आती है।
इसमें आप अपने हावभाव और एक्टिंग को
ज़्यादा अच्छी तरह से समझ पाएंगे।
या फिर शुरू में किसी बच्चे को बैठाकर उसके सामने एक्टिंग कीजिए।
(पालतू जानवरों के सामने भी आप शुरुआत कर सकते हैं,
अगर झिझक बहुत ज़्यादा है।)
फिर दोस्तों के सामने एक्टिंग कीजिए।
इससे आपमें आत्मविश्वास आएगा
और आप खुलते चले जाएंगे।
लेकिन ये सिर्फ़ शुरुआत के लिए अच्छा है।
अच्छा एक्टर बनने के लिए
एकतरफ़ा एक्टिंग से कुछ नहीं होता।
आपको कई प्रकार के लोगों के साथ वार्तालाप करना भी आना चाहिए।
उनसे अलग-अलग प्रकार के हालात में आप
किस तरह बात करेंगे ये भी समझना होगा।
ये आप अकेले नहीं समझ सकते।
ज़ाहिर सी बात है शीशा इसमें आपकी कोई मदद नहीं कर सकता।
उम्मीद करता हूँ कि आगे से
आप मोबाइल कैमरे के सामने ही एक्टिंग करेंगे।
फ़िलहाल तो शीशे में अपनी स्माइल देखिए,
Good info
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ReplyDeleteAwesome
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