Family, मिडिल क्लास परिवार की कहानी,

पांच साल हो गये थे सऊदी में काम करते हुए पहला एक साल कर्ज़ उतारना दूसरा तीसरे साल की कमाई बहनों की शादियों की भेंट चढ़ गया ।
    चौथे साल कुछ बचत करके आने की सोचा तो अब्बा की तबियत खराब हो गई फिर नहीं आ सका और अब्बा गुज़र भी गये बूढ़ी अम्मा घर पर अकेली थी लेकिन कोई बचत नहीं तो हिम्मत भी नहीं पड़ रही थी ।
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     पांच साल सऊदी में रहने के बाद खाली हाथ घर जाऊं लेकिन अम्मा की ज़िद और बहनों ने भी कहा भैया आ जाओ हमें कुछ नहीं चाइये बस आ जाओ.

कहा तो हिम्मत बढ़ी।कुछ उधार बारी करके टिकट लेके वापस आगया की कोई बड़ी ज़िम्मेदारी तो है नहीं अब यहीं कुछ कर लेंगे ।
आने के दूसरे दिन बहन से मिलने गया बहन भी अब बच्चों वाली हो चुकी थी आते वक्त भांजों के हाथ पर सौ रूपया रख कर वापस हुवा ।
दूसरी बहन के यहाँ पहुंचने पर पास के पैसे भी खत्म हो चुके थे लेकिन उसे ये उम्मीद थी ये बहन जो कुछ ज़्यादा नज़दीक है कुछ नहीं बोलेगी ।
वहां से वापसी होने पर भांजे के हाथ पर कुछ नहीं रख पाया घर पहुंचने पर अम्मा ने बताया की इक बहन का फोन आया था बोली भाई पांच साल बाद सऊदी से आया था मेरे बच्चों के हाथों पर सौ रूपल्ली रख के गया इतना तो हम फकीरों को दे देते हैं।
दूसरी बहन बोली की पांच साल बाद सऊदी से आया था अगर बच्चों के हाथ पर 10 रुपये भी रख देता तो बच्चें कहते मामू आये थे.
लेकिन मेरी नाक कटा दी ससुराल में खाली हाथ चले गये। मैं अब वहां खड़ा अपने पिछले 5 सालों की कमाई का हिसाब लगा रहा था।

प्रतिक्रियाएं आदमी विदेश हो या देश में कंडीशन यही होती है अपनी सारी जिंदगी अपने परिवार पे लगाने के बाद ये अंजाम बहुत ही तकलीफ देह होता है।
तब समझ में आता है की काश अपने लिए भी सोचना चाहिए था।

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यही दुनिया की सच्चाई है जब तक जी रहे तबतक साथ देती परछाई है बाकी मां को छोड़ के सब के सब मतलब के हित दोस्त बहन भाई हैं।
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भाई इतना ही कहना चाहूंगा यह सच्चाई है मां-बाप के सिवा इस दुनिया में हर रिश्ते की कीमत है,, क्योंकि बहन जब तक आपकी सगी है जब तक आप से फायदा है भाई जब तक आपका सलाह जब तक आपका उसके सर पर हाथ है पैसों से,, बीवी जब तक आपकी सगी है जब तक आपके पास रुपया है,, बस मां-बाप के सवाल इस दुनिया में हर रिश्ते की कीमत है
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परिवार में पैसा जब तक देते रहोगे तब तक परिवार रोटी देगा बाद में तो कब बर्तन आपके अलग करेंगे रातो रात आपको पता नही चलेगा। अल्लाह से उम्मीद कर लेना पर परिवार वालो से नही।
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 आपको उसी ससुराल मैं बोलना चाहिए था जो बहिन यह बोल रही थी कि नाक कटवा दी हम सो रुपये भिखारी को दे देते हैं कि मेरी जीवन भर की मेहनत की कमाई सही जगह लगी हैं खुश हो बहिन की नही वह सब समझ जाती की भाई कहना क्या चाहते है
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आसपास के रिश्ते इतने निर्दयी हो चुके हैं कि आप की जेब मे कुछ है तो ही आपसे मतलब रखते हैं।आप अपनी खाल भी बेचकर लगा दो तो भी उनके लिए कम है।मरता हमेशा मिडिल क्लास ही है।इसीलिए इस जहान में जो हर रिश्ते से कन्नी काट जाता है और केवल अपने तक ही सीमित हो जाता है वो फायदे में रहता है।मगर किसी ने ठीक ही कहा है कि समझदार की मर होती है।
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इस लिए ही तो कहते हैं कि नेकी कर दरिया में डाल , आप ने क्या किया, कैसे किया, कितना किया , ये हिसाब किताब भगवान के यहां लिख जाता है इस लिए गीता में भगवान ने कहा है अपना कर्म करो और फल की चिंता मुझ पर छोड़ दो

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