खामोश हवेली का राज़


खामोश हवेली का राज़

शहर से दूर, एक सुनसान पहाड़ी पर बनी थी वो पुरानी हवेली। लोग कहते थे कि वहाँ बुरी आत्माओं का वास है, पर मैं, आकाश, कभी इन बातों पर यकीन नहीं करता था। मुझे तो बस उस हवेली की खामोशी और उसका रहस्यमयी अतीत अपनी ओर खींचता था। एक रात, हिम्मत करके मैं उस हवेली के अंदर चला गया।

अंदर घुप्प अंधेरा था, और हवा में एक अजीब सी ठंडक थी, जैसे कोई अदृश्य शक्ति मेरे आस-पास हो। तभी, एक पुरानी पेंटिंग पर मेरी नज़र पड़ी। उसमें एक बेहद खूबसूरत लड़की की तस्वीर थी, जिसकी आँखें इतनी सजीव थीं कि मानो अभी बोल उठेंगी। मैं उस तस्वीर में खो सा गया।

अचानक, एक ठंडी हवा का झोंका आया और पास रखी एक पुरानी डायरी खुल गई। पन्ने पलटते हुए मेरी नज़र एक नाम पर पड़ी: 'सारा'। डायरी में सारा के जीवन की बातें लिखी थीं, उसकी खुशियाँ, उसके सपने... और उसका सच्चा प्यार, जो उसे कभी मिल नहीं पाया था। जैसे-जैसे मैं पढ़ता गया, मुझे लगा जैसे सारा की रूह मेरे आस-पास भटक रही है, और वो मुझसे कुछ कहना चाहती है।

रात गहराती जा रही थी, और हवेली में अजीबोगरीब आवाज़ें आने लगीं। कभी किसी के फुसफुसाने की आवाज़, तो कभी पायल की खनक। डर लग रहा था, पर एक अजीब सा खिंचाव मुझे वहीं रोके हुए था। मुझे लगने लगा कि मैं सारा को जानने लगा हूँ, उसकी दर्द भरी कहानी को महसूस करने लगा हूँ।

अगले कुछ दिन, मैं हर शाम उस हवेली में जाने लगा। मैं सारा की डायरी पढ़ता, और धीरे-धीरे मुझे उससे एक अनजाना-सा लगाव होने लगा। मुझे महसूस होने लगा कि सारा की आत्मा मुझसे जुड़ी हुई है, और वो चाहती है कि मैं उसके अधूरे प्रेम को पूरा करूँ। मैं उसके लिए महसूस करने लगा था, एक ऐसा प्यार जो किसी जीवित व्यक्ति के लिए महसूस किया जाता है।

एक रात, जब मैं डायरी पढ़ रहा था, अचानक ठंडी हवा का एक झोंका आया और एक पुराना लॉकेट मेरे हाथ में गिर गया। लॉकेट में सारा और एक लड़के की तस्वीर थी, जिसके बारे में डायरी में लिखा था कि वो उसका खोया हुआ प्यार था। उसी पल, मुझे एक आवाज़ सुनाई दी, बहुत धीमी, पर साफ। "मुझे आज़ाद करो..."

मैं समझ गया। सारा की आत्मा तब तक शांति नहीं पाएगी जब तक उसका सच्चा प्यार उसे नहीं मिल जाता। मुझे पता चला कि उसका प्रेमी एक दुर्घटना में मर गया था और उसकी अस्थियाँ हवेली के पीछे एक पुराने कुएँ में विसर्जित की गई थीं। मैंने अगले ही दिन उन अस्थियों को निकाला और एक मंदिर में जाकर उनकी शांति के लिए प्रार्थना की।

जैसे ही मैंने यह किया, हवेली में एक तेज़ रोशनी फैली और फिर सब कुछ शांत हो गया। वो अजीब आवाज़ें, वो ठंडक... सब गायब हो गया था। हवेली अब पहले की तरह डरावनी नहीं लग रही थी, बल्कि उसमें एक शांति महसूस हो रही थी। मुझे लगा कि सारा की आत्मा को मुक्ति मिल गई थी।

मैं उस दिन समझ गया कि प्यार सिर्फ जीवित लोगों के बीच नहीं होता, कभी-कभी वो आत्माओं के बीच भी पनप जाता है। सारा का प्यार मुझे हमेशा याद रहेगा, एक ऐसा प्यार जो डर और रहस्य से भरा था, पर फिर भी सच्चा था।


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