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ऐक्टर

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 ऐक्टर बनना है?..  पहले अच्छे से सीख भी लीजिए! जिस तरह हर प्रोफ़ेशन या पेशे को अपनाने के लिए पहले उसे सीखना पड़ता है, वैसे ही ऐक्टिंग भी है। क्योंकि आप भले ही सीखने की परवाह करें या न करें, जो लोग करोड़ों रुपए की फ़िल्में और सीरियल बनाते हैं, वह इस बात की परवाह करते हैं कि काम करने वाले सारे आर्टिस्ट प्रोफ़ेशनल हों।  सेट पर यह ज़रूरत होती है कि सभी ऐक्टर्स को अपना काम अच्छी तरह करना आता हो और जैसा डायरेक्टर चाहे वैसा काम आसानी से निकाल के दे दे।  चुनने वाले लोग पारखी होते हैं। वह देखते ही भाँप जाते हैं कि सामने वाला खिलाड़ी है या अनाड़ी।  लेकिन कई लोग इसी अहम (Ego) के शिकार रहते हैं कि वह तो जन्मज़ात ऐक्टर हैं या ऐक्टिंग भला कोई सीखने की चीज़ है। सीखने की बात उन्हें ख़ुद की बेइज़्ज़ती जैसी लगती है। इस चक्कर में बहुत सारा वक़्त निकल जाता है।   सोचिए...  पैसा तो फिर भी कमाया जा सकता है, लेकिन वक़्त नहीं। वक़्त वापस नहीं मिलता। इसलिए समझदारी इसी में है कि आप वक़्त बचाएं।  अगर गंभीरता से ऐक्टिंग को अपना करियर बनाना चाहते हैं तो पहले सीख लीजिए।  जब आप यह चाहते हैं कि ऐक्टर के रूप में आपको नाम और

ड्रग्स केस में आर्यन खान को 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में

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 ड्रग्स केस में आर्यन खान को 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में  #AryanKhan #Drugs 

पापा मैं बोझ नहीं हूँ ।

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 “बेटी कुदरत का है उपहार, इसको जीने का दो अधिकार” “खुशहाली आएगी खुशहाली आएगी हमारी बेटीयाँ जब स्कुल पढ़ने जायेगी” “बेटी बचाओ बेटी पढाओ, बेटी को पढ़ाकर एक सभ्य समाज बनाओ” “पुत्री है सबसे सुन्दर उपहार, इसके साथ न करो दुर्व्यवहार” “बेटी को अधिकार दो, बेटे जैसा प्यार दो” “आपकी लालसा है बेकार, बिन बेटी के न चले संसार” “लक्ष्मी-नारायण, राधे-श्याम, सीता-राम, गौरी-शंकर, – जब पुजीनीय भी पहले नारी, फिर नर, तो फिर क्यों नहीं देते लड़कियों को जन्म का अवसर” “बेटी से ही आबाद हैं, सबके घर-परिवार, अगर न होती बेटियाँ तो थम जाता संसार” “स्वाभिमान और अभिमान का प्रतीक है बेटियां, इसलिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” “अगर बेटी को मरवाओगे, तब दुल्हन कहा से लाओगे” “वो शाख है न फूल, गर तितलियाँ न हों, वो घर भी कोई घर है, जहाँ बच्चियाँ न हों” “माँ चाहे तो तू मुझे प्यार ना देना, चाहे तो दुलार ना देना, कर सको तो इतना करना जन्म से पहले मुझे मार ना देना” “बहुत सरल है पेट में करना मुझ पर वार, हिम्मत है तो ए माँ, मुझको पैदा करके मार” “सृष्टि का सृजन हैं बेटियां और हमारे घर का आंगन है बेटि

एक्टर बनना है? ... शीशे के सामने एक्टिंग न करें!

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 एक्टर बनना है? ... शीशे के सामने एक्टिंग न करें! कुछ लोगों से बात करते हुए उन्होंने मुझे बताया  कि वे काँच (शीशा Mirror) के सामने एक्टिंग की प्रेक्टिस करते हैं।  मैंने उन्हें ऐसा करने से मना किया।  क्योंकि ये असंभव है।  काँच के सामने आप या तो एक्टिंग कर सकते हैं  या फिर ख़ुद को देख सकते हैं।  हमारा दिमाग एक ही वक़्त में ये दोनों काम नहीं कर सकता।  या दो हिस्सों में नहीं बँट सकता  कि एक हिस्सा एक्टिंग करने में व्यस्त है।  और दूसरा  हमारी एक्टिंग देख रहा है। लेकिन ये ग़लतफ़हमी कई लोगों को है  कि शीशे में देखकर एक्टिंग की प्रेक्टिस की जा सकती है।  कुछ तरह का आड़ा-टेढ़ा चेहरा बना लेना  या रोते हुए ख़ुद को देखना  और फिर ये सोचना कि वो तो कितने ग्रेट एक्टर हैं,  बहुत बचकाना है।  आड़ा-टेढ़ा चेहरा बना लेने से एक्टिंग सीखी जा सकती  तो वे सारे लोग बहुत ग्रेट एक्टर बन जाने चाहिए,  जो घर पर ख़ुद अपनी शेविंग करते हैं।  सच कह रहा हूँ, मेरा बहुत मनोरंजन होता है जब  मैं किसी को शेव करते हुए देखता हूँ। इतने मनोरंजक और अजब-ग़ज़ब एक्सप्रेशन बनने हैं  कि आप मुस्कुराए बिना नहीं रह सकते।  लेकिन हक़ीक़त में

सवालः सर, कई जगह ऑडिशन के पैसे माँगते हैं। कितने पैसे लगते हैं?

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#जवाबः ऑडिशन का कोई पैसा नहीं लगता। भले ही वो फ़िल्म का हो, सीरियल का हो या फिर कमर्शियल विज्ञापन (TVC) का। ऑडिशन फ्री में ही होता है।  ऐक्टर बनने की ख़ातिर, जो लोग उतावले होते हैं, वे आगे भी लुटते ही चले जाते हैं। ध्यान रखिए कि जो लोग सच में कोई फ़िल्म बना रहे हैं या सीरियल बना रहे हैं, ऑडिशन लेना उनकी ज़रूरत है। उनकी ग़रज़ है, क्योंकि ये उन्हें कलाकार चाहिए। इसीलिए किसी भी स्थापित और ईमानदार प्रॉडक्शन हाउस में कभी भी ऑडिशन का पैसा नहीं लिया जाता।  पैसे लेकर ऑडिशन लेने वाले तर्क ये देते हैं कि कैमरे के सामने ऑडिशन शूट करने का ख़र्च है। ये बेतुकी बात है। एक-दो जनों ने तो ये भी बताया कि उनसे ऑडिशन की स्क्रिप्ट तक के नाम पर तीन सौ - चार सौ रुपए ले लिए। ऐसे किसी झाँसे में मत आइए ये सब फ़ेक ऑडिशन वाले होते हैं, जो झूटे प्रोजेक्ट बताकर झूटे ऑडिशन लेते हैं। पैसा माँगते ही वहाँ से निकल आइए।  https://www.facebook.com/beingnajishalam/ ऑडिशन के पैसे लेने के लिए कई बार कुछ दिखावा भी ऐसे लोग करते हैं। जाने पहचाने कुछेक ऐक्टर्स को जज के नाम पर बुला ले

नाजिश आलम

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      मुंबई: मुंबई यानी कि माया नगरी,न जाने कितने लोग रोजाना देश के कोने कोने से मुंबई आते हैं पर हर किसी का सपना यहाँ पूरा भी नहीं होता, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी क़ाबलियत के बल पर लगातार सफल होते चले जाते हैं और अपने सपनों को पूरा भी करते हैं, उन्ही में से एक नाम है “नाजिश आलम”, उत्तराखंड हरिद्वार  से ताल्लुक रखने वाले नाजिश आलम ने  अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मुंबई की ओर रुख़ किया,        उन्हें सबसे पहले इरफान खान की फिल्म हिन्दी मीडियम में काम करने का मौका मिला। उन्होंने मुंबई में ऑडिशन देने के बाद उन्हें एक सीरियल में काम करने का मौका मिला, उसके बाद से तो उनके अभिनय को देखकर लगातार वो इस दिशा में आगे बढ़ते गए,अपने इस करियर के सफर में आलम ने “जिंदगी की महक”,”ये प्यार नही तो क्या है”,सावधान इंडिया आदि सीरियल में काम कर दर्शकों में बीच अपनी पहचान बनायी,       नाजिश आलम  ने कई वेब सीरीज और शार्ट मूवीज में भी काम किया है,आलम सलमान खान की फिल्म भारत  में भी नजर आये हैं,                                     नाजिश आलम हर्फ चीमा के एक गाना दुशमन 40 में भी पुलिस ऑफिसर  के किरदार में

ऐक्टर बनना है

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 #ऐक्टर_बनना_है? ✅❤️ ये ज़रूरी बात आपके लिए #काले_शब्दों_में_छिपी_है_अच्छी_ऐक्टिंग_की_जान! सिनेमा के शुरुआती दौर की तरह अब साइलेंट मूवीज़ नहीं बनती की आपको बोलना ही नहीं पड़े। क्योंकि जब तक सिनेमा को आवाज़ नहीं मिली थी, बिना आवाज़ के ही ऐक्टर्स ऐक्टिंग करते थे। वो भी अभिनय है। उसमें भी भाव व्यक्त हो जाते हैं।  लेकिन जैसे ही फ़िल्मों को ज़बाँ मिली, सारा परिदृश्य ही बदल गया। फिर उन ऐक्टर्स की लोकप्रियता बढ़ गई जो अच्छा बोल पाते थे। लेकिन अभिनय बहुत ड्रामेटिक होता था। डायलॉग डिलीवरी लाउड होती थी। फिर उसमें भी सुधार होता चला गया। और अब बहुत सहज अभिनय (Effortless Acting) की दरकार है।  सहज अभिनय के लिए ज़रूरी है बोले जा रहे शब्दों में छिपे भाव पकड़ना। अगर आप शब्दों के भाव ही नहीं पकड़ पाएंगे, तो कैसे अच्छी ऐक्टिंग कर पाएंगे? आपकी ऐक्टिंग में जान कैसे ला पाएंगे?  जो डायलॉग आपको बोलने के लिए दिया गया है, लेखक ने उन शब्दों के ताने-बाने में कौनसा भाव बुन रखा है, ये आपको समझ में आना ही चाहिए। तभी आप उस भाव को बयाँ करने की स्थिति में आ पाएंगे।  जब आप शब्दों के भावों को समझना शुरू करते हैं तो पाएंगे कि कई सूक

IAS इंटरव्यू में पूछे गए ऐसे सवाल, क्या आप दे पाएंगे जवाब?

IAS इंटरव्यू में पूछे जाते हैं ऐसे सवाल. अगर आपका IQ बढ़िया है तो दें इन 10 सवालों के जवाब IAS इंटरव्यू में पूछे गए ऐसे सवाल, क्या आप दे पाएंगे जवाब? आपके लिए सवाल 👇  एक हाथ में 1 किलो रुई और दूसरे में एक किलो लोहा है, तो ज्यादा भारी क्या? जवाब - आप कमेन्ट करके बताइए 1. सवाल- जैम्स बॉड को बिना पैराशूट के एक प्लेन से बाहर निकाल देते है, लेकिन वो बच जाता है। कैसे? जवाब- क्योंकि प्लेन उस समय रनवे पर ही था। 2. सवाल- नाग पंचमी का अपोजिट क्या होगा? जवाब- नांग डू नॉट पंच मी। 3. सवाल- एक बिल्ली के तीन बच्चे थे जिनके नाम जनवरी, फरवरी और मई था। मां का नाम 'क्या' था। जवाब- क्या ही मां का नाम है। 4. अगर मैं आपकी बहन के साथ भाग जाऊं तो आप क्या करेंगे ? जवाब- इस सवाल का जवाब जिस उम्मीदवार ने दिया है उसे चुन लिया गया था. उनका जवाब था कि "मेरी बहन के लिए आपसे बेहतर मैच नहीं मिलेगा". 5. आप एक कच्चे अंडे को ठोस सतह पर कैसे छोड़गे कि यह क्रैक ना हो? जवाब- ठोस सतह अंडे से के गिरने से नहीं टूटेगी. आप कैसे भी अंड़े को छोड़ सकते हैं.  6. क्या आप तीन लगातार

ऐक्टर बनना है ओर कार्य कैसा करना चाहिए

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#ऐक्टर_बनना_है? #अपनी_छवि_का_कॉन्ट्रैक्ट_आपके_हाथ कुछ दिन पहले एक युवती का फ़ोन आया। बोली कि "सर मैं ऐक्टिंग में नई हूँ। इन दिनों वेब सिरीज़ में काम करने के ऑफ़र ज़्यादा आ रहे हैं। #वेब_सिरीज़_में_काम_करना_सही_है_क्या?" मुझे लगता है कि ऐसी ही दुविधा में कई ऐक्टर्स होंगे। क्योंकि इस सवाल के दरम्यान और भी कई सवाल पैदा होते हैं जो ज़ेहन में घूमते रहते हैं। लेकिन सबसे पहले मूल सवाल ही पकड़ते हैं- क्या वेब सिरीज़ में काम करना सही है? इसका जवाब ये है कि हाँ, बिल्कुल सही है। क्योंकि वेब सिरीज़, मोबाइल पर तेज़ी से पॉपुलर हो रही हैं। ये वेब सिरीज़, ओटीटी (OTT-Over the top) माध्यम की महत्वपूर्ण कैटेगरी है। हालाँकि यहाँ वेब सिरीज़ ही नहीं बल्कि फ़िल्में भी रिलीज़ हो रही हैं। यहाँ दर्शक अपनी मनमर्जी से अपनी पसन्द और सुविधानुसार फिल्में और वेब सिरीज़ देख सकते हैं। अभी कोरोना काल में तो यही मीडियम (ओटीटी) सबके मनोरंजन का साधन बना हुआ है। कई बड़े ऐक्टर्स भी अब वेब सिरीज़ में काम कर रहे हैं। सब सामान्य होगा तो वेब सिरीज़ की शूटिंग तेज़ी से बढ़ेगी क्योंकि इसकी माँग बहुत है। आने वाले वक़्त में काम भी ब

आसान नहीं एक औरत होना

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#आसान_नहीं_एक_औरत_होना" प्लीज एक बार मेरी पूरी पोस्ट पढ़ें। हम आज जिस संसार मे है इसकी वजह भी एक औरत है हमें हमेशा औरत का सम्मान करना चाहिए! बाकी सबकी सोच को तो हम बदल नही सकते मैं जब पैदा हुई तो मुझसे बाप रूठ गया , ख़ानदान रूठ गया , जैसे तैसे चलना सीखा , फिर बोलना सीखा , फिर जैसे तैसे बड़ी हुई , स्कूल जाना शुरू किया , मेरी शिक्षा पर भी उंगलियां उठनी शुरू हुईं , स्कूल के लिए साइकिल से जब निकलती थी तो रास्ते में मनचले बाइक से पीछा करना शुरू कर देते थे , जो जी में आए कहते थे , बेहद गंदे और अश्लील शब्दों का प्रयोग कर मेरे ना चाहते हुए भी मुझे पुकारते थे , जैसे मैं उनकी जागीर हूँ । क्लास में जाती तो टीचर की गन्दी निगाह मेरे तन के अंगों पर पड़ती , उसकी भी अश्लील और ओछी हरकतें सहनी पड़ती । फिर कॉलेज का दौर शुरू हुआ , बस में सफ़र करती तो , मनचले किसी न किसी बहाने से मेरे जिस्म के अंगों पर स्पर्श करते , ब्रेक लगती तो मेरे ऊपर आ जाते , मैं अकेली , सहमी हुई सी बेबस लड़की , कुछ न कर पाती थी । कॉलेज के अंदर का माहौल स्कूल से भी ज़्यादा गंदा और अश्लील था , फिर शाम को जब कोचिंग से निकलती , तो