खामोश हवेली का राज़
खामोश हवेली का राज़ शहर से दूर, एक सुनसान पहाड़ी पर बनी थी वो पुरानी हवेली। लोग कहते थे कि वहाँ बुरी आत्माओं का वास है, पर मैं, आकाश, कभी इन बातों पर यकीन नहीं करता था। मुझे तो बस उस हवेली की खामोशी और उसका रहस्यमयी अतीत अपनी ओर खींचता था। एक रात, हिम्मत करके मैं उस हवेली के अंदर चला गया। अंदर घुप्प अंधेरा था, और हवा में एक अजीब सी ठंडक थी, जैसे कोई अदृश्य शक्ति मेरे आस-पास हो। तभी, एक पुरानी पेंटिंग पर मेरी नज़र पड़ी। उसमें एक बेहद खूबसूरत लड़की की तस्वीर थी, जिसकी आँखें इतनी सजीव थीं कि मानो अभी बोल उठेंगी। मैं उस तस्वीर में खो सा गया। अचानक, एक ठंडी हवा का झोंका आया और पास रखी एक पुरानी डायरी खुल गई। पन्ने पलटते हुए मेरी नज़र एक नाम पर पड़ी: 'सारा'। डायरी में सारा के जीवन की बातें लिखी थीं, उसकी खुशियाँ, उसके सपने... और उसका सच्चा प्यार, जो उसे कभी मिल नहीं पाया था। जैसे-जैसे मैं पढ़ता गया, मुझे लगा जैसे सारा की रूह मेरे आस-पास भटक रही है, और वो मुझसे कुछ कहना चाहती है। रात गहराती जा रही थी, और हवेली में अजीबोगरीब आवाज़ें आने लगीं। कभी किसी के फुसफुसाने की आवाज़, तो कभी पायल...