ऐक्टर बनना है
#ऐक्टर_बनना_है? ✅❤️ ये ज़रूरी बात आपके लिए #काले_शब्दों_में_छिपी_है_अच्छी_ऐक्टिंग_की_जान! सिनेमा के शुरुआती दौर की तरह अब साइलेंट मूवीज़ नहीं बनती की आपको बोलना ही नहीं पड़े। क्योंकि जब तक सिनेमा को आवाज़ नहीं मिली थी, बिना आवाज़ के ही ऐक्टर्स ऐक्टिंग करते थे। वो भी अभिनय है। उसमें भी भाव व्यक्त हो जाते हैं। लेकिन जैसे ही फ़िल्मों को ज़बाँ मिली, सारा परिदृश्य ही बदल गया। फिर उन ऐक्टर्स की लोकप्रियता बढ़ गई जो अच्छा बोल पाते थे। लेकिन अभिनय बहुत ड्रामेटिक होता था। डायलॉग डिलीवरी लाउड होती थी। फिर उसमें भी सुधार होता चला गया। और अब बहुत सहज अभिनय (Effortless Acting) की दरकार है। सहज अभिनय के लिए ज़रूरी है बोले जा रहे शब्दों में छिपे भाव पकड़ना। अगर आप शब्दों के भाव ही नहीं पकड़ पाएंगे, तो कैसे अच्छी ऐक्टिंग कर पाएंगे? आपकी ऐक्टिंग में जान कैसे ला पाएंगे? जो डायलॉग आपको बोलने के लिए दिया गया है, लेखक ने उन शब्दों के ताने-बाने में कौनसा भाव बुन रखा है, ये आपको समझ में आना ही चाहिए। तभी आप उस भाव को बयाँ करने की स्थिति में आ पाएंगे। जब आप शब्दों के भावों को समझना शुरू करते हैं तो पाएंगे कि कई सूक